पवित्र कार्तिक मास कथा-13 पाल माता, पथवारी माता और गणेश जी महाराज की कहानी/Pavitra Kartik month story-13 Story of Pal Mata, Pathwari Mata and Ganesh Ji Maharaj

 

कार्तिक मास,पाल माता, पथवारी माता और गणेश जी महाराज

कार्तिक मास कथा-13

कार्तिक मास पाल माता, पथवारी माता और गणेश जी की कहानी ~ 

 आज हम आपके लिए कार्तिक मास की पाल माता, पथवारी माता और गणेश जी महाराज की कहानी लेकर आए हैं । एक समय की बात है पाल माता, पथवारी माता और विनायक जी महाराज में झगड़ा हो गया, कि सब आपस में स्वयं को बड़ा बताने लगे, तभी वहाँ से कार्तिक स्नान करने के लिए एक ब्राह्मण का लड़का जा रहा था । पाल माता, पथवारी माता और विनायक जी ने उसे रोका और कहने लगे ऐ लड़के रुख और हमारा न्याय कर तू ब्राह्मण का लड़का है, तुझे सब पता है । ऐसा कहकर उन्होंने उसे सारी बात बताई तो लड़का बोला अभी तो मैं जल्दी में हूँ, कल वापस आऊंगा तब आपका न्याय करूँगा, ऐसा कहकर वो अपने घर की ओर चल दिया । घर जाकर लड़के ने अपनी माँ से कहा माँ मुझे कल न्याय करना है । बाल माता, पथवारी माता और विनायक जी महाराज में से मुझे सबमें बड़ा चुनना है । तब उसकी माँ बोलीं बेटा सबको बड़ा बता देना, कोई किसी से छोटा नहीं होता । अगले दिन लड़का वहाँ पहुंचा और बोला

  पाल माता ~ 

 पाल माता,आप बड़ी है क्योंकि हर व्यक्ति आपके पास आता है और स्नान दान कर शुद्ध हो जाता है और आप सब की रक्षा करती है । 

 पथवारी माता ~

 पथवारी माता,आप भी सबसे बड़ी है क्योंकि व्यक्ति कितने भी तीर्थधाम, दान आदि कर ले पर आपकी पूजा के बिना उसका कार्य पूर्ण नहीं होता । आप ही है जो जीवित को तारती है और मरने के बाद भी उद्धार करती है । आप ही पाल माता की धारणी है  इसलिए आप बड़ी है । इसके बाद में विनायक जी से कहता है 


गजानन महाराज/विनायक जी  ~

विनायक जी, सबसे पहले शुभ कर्मों में आप को ही मनाया जाता है, आपको ही विराजमान किया जाता है । आपके बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होते इसलिए आप बड़े हैं । 

आप सभी की आपस में कोई तुलना नहीं है इसलिए आप सभी बड़े है । मानव आप सभी को पुजकर भगवान विष्णु को प्राप्त करता है । पाल माता, पथवारी माता और विनायक जी महाराज ब्राह्मण के बालक की चतुराई से प्रसन्न हुए और बोले लड़के तुमने तो हम सबको बड़ा बता दिया, हम तुमसे बहुत खुश हैं और साथ ही उसे सदा सुखी रहने का आशीर्वाद दिया और उसे कुछ जौ के दाने दिए । लड़के ने सोचा ये तो घाटे का सौदा रहा, दिन खराब कर न्याय करने यहाँ आया और बदले में मिला भी तो क्या ये कुछ जौ के दाने ऐसा सोचकर उदास होकर वो लड़का अपने घर की ओर चल दिया । घर आकर उसने वो जौ के दाने एक कोने में रख दिए । माँ ने जब उसे देखा तो पूछने लगीं बेटा न्याय कर आया, वो बोला हाँ माँ न्याय कराया, माँ ने फिर पूछा न्याय करके क्या लाया, लड़का बोला कोने में पड़ा है जाकर देख लो माँ ने वहाँ जाकर देखा तो घर के कोने में हीरे मोतियों का भंडार लगा था । वो देखकर माँ चौंक गईं और बेटे को बुलाया और कहने लगीं बेटा आज तो पाल माता, पथवारी माता और गजानंद महाराज द्वारा हम पर कृपा हुई है, यह देखकर बेटा भी हैरान रह गया । माँ बेटे दोनों खुशी खुशी रहने लगे । हे कार्तिक महाराज जैसी कृपा आप ने माँ बेटे पर करी वैसे ही इस कथा को कहते, सुनते और हुंकार भरते सब पर करना अधूरी हो तो पूरी करना पूरी हो तो मान करना  

जय कार्तिक महाराज ।

जय भगवान विष्णु ।

जय पाल माता ।

जय पटवारी माता ।

जय गजानन महाराज ।

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