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| तुलसी माता की कहानी |
तुलसी माता पूजा के महत्व की कहानी/The story of the importance of Tulsi Mata Puja~
नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए माँ तुलसी जी की एक बहुत सुन्दर कहानी लेकर आए हैं । एक समय की बात है किसी नगर में एक ब्राह्मण का पुत्र अपनी पत्नी और अपनी बहन के साथ रहता था, उसकी बहन ने तुलसी पूजन का नियम ले रखा था वह सुबह शाम तुलसी के पौधे में घी का दीपक जलाती थी तुलसी को जल व दूध से सिंचती थी, उसके तुलसी पूजन से उसकी भाभी बहुत नाराज रहती थी और कहती तेरे विवाह में तुझे यह तुलसी का पौधा ही दूंगी । एक समय जब ननद का विवाह होने लगा तो गुस्से में आकर भाभी ने अपनी ननद को विवाह में गहनों की जगह तुलसी की मंजरी की माला पहना दी, देखते ही देखते वो माला सोने के आभूषणों में बदल गई जब बराती खाना खाने बैठे तो उसकी भाभी ने तुलसी का गमला फोड़कर सभी को भोजन के रूप में परोस दिया अचानक वह भी स्वादिष्ट व्यंजनों में बदल गया । जब ननद की विदाई होने लगी तो भाभी ने उसे वस्त्रों की जगह जनेऊ रखकर दे दिया, जब ननद ससुराल पहुंची तो वह जनेऊ रेशमी वस्त्रों में बदल गया। यह देख कर उसके ससुराल में सभी खूब तारीफ करने लगे । विवाह के बाद एक दिन भाई ने अपनी पत्नी से कहा बहन के विवाह को बहुत समय हो गया है चलो कुछ दिनों के लिए उसे लेने चलते है, भाभी ने उसके ससुराल वालों को देने के लिए एक बक्से में तुलसी के पत्ते और मंजरी भर दी । ननद के घर पहुंचे तो उन्होंने जैसे ही वह बक्सा खोलकर देखा तो उस बक्से में रेशमी वस्त्र और आभूषण निकले जिसे देखकर सभी बहुत प्रसन्न हुए यह देखकर भाभी चकित रह गईं, तब ननद बोली भाभी ये सब मेरे तुलसी पूजन का फल है जो माँ तुलसी ने मुझे लौटाया है । यह सब देखकर भाभी ने अपनी बेटी से कहा कि अब से तुम रोज़ तुलसी पूजन किया करो, बेटी बिना मन से रोज़ तुलसी पूजने लगी जिससे उसकी माँ बहुत खुश रहती थी । जब बेटी के विवाह का समय आया तो माँ ने अपनी ननद के विवाह की तरह उसे मंजरी की माला पहना दी, खाने के लिए सभी बारातियों के आगे तुलसी का गमला फोड़कर परोस दिया । लेकिन न तो मंजरी की माला सोने चांदी के आभूषणों में बदली और ना ही फूटा हुआ गमला स्वादिष्ट व्यंजनों में बदला, यह देखकर सभी बाराती उसकी बहुत निंदा करने लगे तब उसका पति अपनी पत्नी से बोला मेरी बहन ने सच्चे मन से तुलसी पूजन किया था इसलिए तुलसी माता ने उसका साथ दिया और तूने लालच में आकर अपनी बेटी से जबरदस्ती तुलसी पूजन करवाया, जिसका अंजाम ये हुआ कि बेटी के ससुराल में हमारी निंदा हो गई । हे तुलसी माता जैसी कृपा आपने ननद पर करी वैसे ही इस कहानी को कहते सुनते और हुंकारा भरते सब पर करना ।
जय तुलसी माता ।
जय कार्तिक महाराज ।
जय भगवान विष्णु ।

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